राजेश कुमार गिरि - एक परिचय
कहने को तो राजेश कुमार गिरि एक गणित के जाने-माने शिक्षक और कोच है लेकिन लिखने और अपने विचारों को प्रसाद की तरह बांटने की प्रवृति शुरू से ही रही है ! राजेश कोई कवि , कहानीकार या साहित्यकार नहीं है, परन्तु अपनी जिंदगी की सच्चाईयों से उन सभी युवाओ का मार्गदर्शन करना चाहते है जिनके अपने सपने है ! जिन्हें पूरा किया जा सकता है, दूसरों की गलतियों से सीखकर !
राजेश वर्षों से अंग्रेजी भाषा में आलेख लिखते रहे है ! परन्तु अब वे अपनी मातृभाषा के लिए जीवन अर्पित करने का फैसला किया है !
"उसकी एक प्रेमपाती" ही इसी प्रयास के कड़ी की तीसरी पुस्तक है !
हिंदी भाषा और साहित्य भारतवर्ष की अतुलनीय धरोहर है जिसे एक दिन या वर्ष में कत्तई नहीं सीख सकते ! लेखन कला तो बिल्कुल ही नहीं ! पाठकों की खरी-खोटी , सुधार की शिक्षा और पीठ पर थपकी और सीखने और लिखने को प्रेरित करेगी !
वैसे तो राजेश कुमार गिरि , आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं है ! गूगल सर्च में नाम डालने मात्र से कुंडली निकल आती है !
फिर भी थोडी जानकारी यहाँ भी उपलब्ध है :-
दरिद्रता के दामन से निकलकर अशिक्षित परिवेश के कीचड़ में कमल की तरह खिलकर अपनी मेहनत और पिता के लाढ-प्यार से नई कीर्तिमान को बनाने के लिए आतुर राजेश , बचपन से ही कुछ कर दिखाने की जज्बे के साथ पल-बढ़ रहा थे ! राजधानी दिल्ली में उन्हें कुछ कर दिखाने का अवसर मिल गया ! फिर क्या वह लिखने लगे संघर्ष से भरी हुई सफलता की कहानी ! पर सब कुछ इतना आसान नहीं था !
संघर्ष की पूरी कहानी पढ़े - सर्दी की वो मनहूस रात
सर्दी को वो मनहूस रात
यह क्या आपको यह नहीं लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी एक बेमिशाल और पठनीय कहानी है और हर कहानी में किरदारों की अद्वितीय जिंदगी और भूमिका
है ? जब जब आप कहानी के किरदार की तस्वीर को कल्पना के पटल से उभरकर स्पष्ट होते हुए देखते है ; तो प्रतीत होता है की यह तो कल ही की आस-पड़ोस की घटना का नायक है !
ऐसे ही किरदार "राजेश कुमार गिरि " (स्वयं लेखक ) की दर्दनाक , पीड़ादायक संघर्ष और रहस्यों से भरी हुई रोमांचक परन्तु सत्या पर आधारित कहानी आपको प्रस्तुत कर रहा हूँ !
इस कहानी में प्रेरणा भी है , तो दर्द भी ! पीड़ा अगर है तो , प्रेम भी ! धोखा गर मिला , तो सहारा भी साथ-साथ चला आया बेख़ौफ़ होकर ! कही निराशा हाथ लगी तो कही सफलता भी चरण चूमने में पीछे ना रही ! कुछ अपनों और अपनी प्रिय चीजों को खोया तो बहुत कुछ पाया भी ! यही तो जिंदगी की वास्तविकता है !
सर्दी को वो मनहूस रात - पुस्तक सुविधानुसार उपलब्ध है !
और वो शीशी में कैद हो गया
कहानियाँ कुछ तो कहती है , क्योंकि लेखक या लेखिका अपनी गहन एवं अथाह कल्पनाओ के समुन्द्र से विचारो और भावनाओ की मोती चुन-चुनकर वाक्यों में पिरोते है ! तब जाकर कही वास्तविक परिस्थितियो का जीवन्त तस्वीर बनता है ...
सहज प्रेरणादायक व्यक्तित्व, अद्वितीय चरित्र और जीवन संघर्ष के साथ कल्पनाओ की मेल ही लेखनी को जन्म देती है !
कई वर्षो से इस टीस को सुई की चुभन के भांति सहता रहा हूँ ! कैसे समाज में व्याप्त जातिय असमानता , गरीबी में पनपे प्रतिभा का तिरस्कार और नशे की लत , मान-सम्मान , रूतवा और धन का नाश कर उसे शिखर से जमीन पर पटक देती है और एक ऐसी जिंदगी जीने पर मजबूर कर देती है ; जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी!
"और वो शीशी में कैद हो गया " कहानी एक अद्भुत चित्रण है , जिसमे मानव भावनाओ , सपनो और संघर्ष के साथ -साथ शिखर से गिर कर शून्य की स्थिति में कैसे एक सम्मानित और प्रतिभाशाली व्यक्ति भी तिरस्कार का पत्र बन जाता है !
- प्रेम विवाह की चाहत में तड़प है तो विरह की पीड़ा भी है !
- सफलता की वजह से भटकन है तो असफल होने पर अटकन भी है !
- स्वप्न का पर्दा भी है तो हकीकत का सामना भी है !
- सम्मान की भोर गर है तो तिरस्कार की साँझ भी है !
इस कहानी के माध्यम से समाज को सन्देश देने का अदनी सी प्रतिब्द्धता है ! कहानी को घटना क्रम के हिसाब से सामंजस्य बनाकर कई अध्याओ में बाँट दिया ! जिससे की कहानी रोचक लगे और स्पष्ट भाव व्यक्त हो